“राज्य शिक्षक संघ ने रैली निकालकर ज्ञापन सौंपा, जाकीर की कलम”
“शायद मुख्यमंत्री को ज्ञात नहीं एक शिक्षक के लिए शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आनन्द प्रद बनाना, एक शिक्षक के सामने सबसे बड़ी महत्त्वपूर्ण चुनौती होती है।”
शिक्षकों के प्रति संक्षेप में कहूं तो राज्य के शिक्षक संघ की पीड़ा का मुख्य कारण सरकारी ऊलजुलूल नीतियों का बोझ, जिसमे अपनी जायज मांगे जैसे वेतन, सेवा सुरक्षा वही कार्यभार को लेकर सरकार की उदासीनता है, जिससे शिक्षक शिक्षा के साथ-साथ अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भी मजबूरन आंदोलन कर रहे, इस में मुख्य रूप से देखा जाए तो सरकार दोषी है”
“नर्मदापुरम:” मध्य प्रदेश में शिक्षा के संदर्भ में चर्चा अगर की जाए तो सर्व प्रथम मुख्य चुनौतियों में अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, शिक्षकों की कमी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच, स्कूल छोड़ने की दर और आलोचनात्मक सोच व रचनात्मकता के बजाय रटने पर ज़ोर शामिल देखा जा रहा हैं। वही इसके अतिरिक्त, सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं, तों दोषी किसे ठहराया जाएगा, यह अपने आप में बहुत बड़ा देश और प्रदेश के भविष्य के लिए अहम सवाल है। वही दूसरी ओर देखने में आ रहा है, कि राज्य शिक्षक संघ की पीड़ा मुख्य रूप से अव्यावहारिक ई-अटेंडेंस प्रणाली, गैर-शैक्षणिक कार्यों का बोझ “जैसे चुनाव ड्यूटी, लंबित वेतन संशोधन और एरियर, सेवा सुरक्षा “टीईटी अनिवार्यता, और पदोन्नति व वेतन विसंगतियों से जुड़ी है” जिससे शिक्षकों में भारी आक्रोश के साथ असंतोष देखा जा सकता है। जबकि शिक्षक वर्ग लगातार आंदोलन करते चले आ रहे हैं, जो कि मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों के हालिया प्रदर्शनों से साफ तौर पर दिखाईं देता या पता चलता है। जबकि समय समय पर शिक्षक संघ इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार से रैलियों धरना प्रदर्शनो और ज्ञापन के माध्यम से गुहार लगाते खुले तौर पर देखे जा सकते हैं। वही राज्य शिक्षक संघ द्वारा आयोजित विशाल रैली में जिले भर से आए सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ नारे बाजी कर आवाज बुलंद करते हुए प्रमुख समस्याओ में
ई-अटेंडेंस का विरोध पुरजोर करते दिखाई दिये। इसे शिक्षकों के लिए एक अव्यावहारिक कार्य है, जिसे बंद करने की मांग की है। वही गरचे सरकार की रीति और नीति को देखे तो साफ हों जाता हैं, की सरकार शिक्षकों के पक्ष में दिखाई नहीं देती। चुके अतिरिक्त कार्यभार पर भी खतरा मंडरा रहा है। चुकी अतिथि शिक्षक पक्की नौकरी और नियमितीकरण की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, वही प्रदेश में सरकार बदलने के बाद भी शिक्षकों की स्थिति आज भी जस की तस नजर आ रही हैं। जिसे भारी आक्रोश से भरे राज्य शिक्षक संघ ने शिक्षकों की पीड़ा को गंभीरता के साथ लेते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री के नामें तहसीलदार श्रीमती सरिता मालवीय को ज्ञापन सौंपकर शिक्षकों के ज्वलंत बिंदुओं की याद ताजा कर निराकरण की मांग की है। जिसमें हजारों शिक्षकों ने अपनी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए आवाज बुलंद की है। चूकि ज्ञापन कर्ताओ शिक्षकों ने पीपल चौक पर हजारों की संख्या में उपस्थित हों कर पीपल चौक पर धरना करने के पश्चात रैली के दौरान नारेबाजी करते हुए जिला मुख्यालय पहुंचकर तहसीलदार श्रीमती सरिता मालवीय को ज्ञापन सौंपा है। शिक्षक संघ ने ज्ञापन के माध्यम से प्रदेश के मुखिया को कई बिंदुओ को संज्ञान में मुख्य रूप से दिया। शिक्षक संघ के अनुसार शिक्षको की पीड़ा सरकार के दरबार जिसमे सर्वप्रथम दृष्टय नियुक्ति दिनांक से शिक्षकों को वरिष्ठता का लाभ दिया जाए, जोकि शिक्षकों का हक है। वही संघ ने ई-अटेंडेंस जैसी अव्यवहारिक व्यवस्था को बंद कराने के ऊपर पुर जोर दिया। इसी तारतम्य में पुरानी पैंशन बहाल कर अतिथि शिक्षकों की सेवा निरंतर रखने की बात कही, इसी के साथ शिक्षक महिलाओं को मातृत्व अवकाश में 2 वर्ष का समय दिया जाता था, जो कि दूसरे वर्ष 80%वेतन दिया जाता था, जिसे पूर्ववत 100%करने की मांग प्रदेश सरकार से की है। शिक्षक संघ ने भारी आक्रोश के साथ ज्ञापन तहसीलदार द्वारा मुख्यमंत्री के नामें सौंपा, जिसमे ज्ञापनकर्ता जिलाध्यक्ष उमेश ठाकुर, कैलाश पुरोहित, निशांत पाठक, सुदीप जैवार, केसरी सिंह राजपूत, गजेन्द्र सिंह, कुंवर सिंह बड़ेवा, संतोष मीणा, शिवदुवेदी, सुनील साहू, संजय राय, संतोष सोनी, दीप सिंह रघुवंशी, अर्जुन रघुवंशी, रिखीराम मेहरा, राकेश नावडा, लखन अहिरवार आदि एवं अन्य पदाधिकारी व सदस्य शामिल थे।

केशरसिह पालवी
दैनिक बैतूल न्युज
संपादक. 9424615699
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