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प्राकृतिक खेती को एक रोजगार के रूप में विकसित कर लाभ अर्जित करे, जाकीर की कलम” 

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“प्राकृतिक खेती को एक रोजगार के रूप में विकसित कर लाभ अर्जित करे, जाकीर की कलम”

 

“प्राकृतिक खेती अंतर्गत कृषि सखियों का जागरूकता एवं आदान वितरण कार्यकम संपन्न”

 

“उज्जैन:” “एक दिन जी कर तों देखो जिंदगी किसान की, कैसे मिट्टी से सजा देता है किसान थालियां हिंदुस्तान की, चुकी बंजर जमीन में भी पौधे उगाने का हौसला रखता है, वह हिंदुस्तानी किसान ही हैं या कृषक आशिक” जिस कारण राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन की सहरानिय कार्य कहना गलत नही होंगा, या किसानों में जागरूकता लाने की पुरजोर कोशिश कहना भी गलत नही होंगा। चुकी जैविक खेती एक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण हैं, जो रसायनों के बजाय प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करने पर आधारित हैं। जैविक खाद्य मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए प्राथमिकता देता है, फसल चक्र खाद्य बनाना और जैविक कीट नियंत्रण जैसी क्रियाओ के माध्यम से जैविक खेती फसल को बढ़ावा देती, और स्वच्छ वही स्वास्थ्य परिस्थितियों की तंत्र बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं। जिस कारण बीते दिनों कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन एवं आत्मा परियोजना के संयुक्त तत्वाधान में पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 19/12/2025 को कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उक्त कार्यक्रम में जिले की कृषि सखियों का जागरूकता एवं आदान वितरण कार्यक्रम सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरू प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज के मुख्य आतिथ्य एवं केन्द्र प्रमुख प्रोफेसर अशोक कुमार दीक्षित की अध्यक्षता में भव्य कार्यक्रम संपन्न किया गया। चुके कार्यक्रम में परियोजना संचालक आत्मा श्री के.एस.कैन, नोडल वैज्ञानिक डॉ. सविता कुमारी एवं सह नोडल वैज्ञानिक डॉ. एच.आर. जाटव एवं वैज्ञानिक डॉ. मोनी सिंह मुख्य रूप से उपस्थित थे। वही कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के दीप प्रज्जलन उपरांत अतिथियों का भव्य स्वागत से प्रारम्भ किया जाकर डॉ. दीक्षित, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा एवं उद्देश्यों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी दी गयी। तदोपरांत कार्यक्रम के नोडल वैज्ञानिक डॉ. सविता कुमारी द्वारा पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की संक्षिप्त में जानकारी दी गई, साथ ही प्राकृतिक खेती को जन-जन तक अभियान के रूप में शामिल कर मिट्टी के स्वास्थ्य, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण से बचाव एवं स्वस्थ्य गांव एवं जिले की परिकल्पना करते हुये स्वस्थ्य राज्य एवं देश के विकास में योगदान देने के संबंध में बात कही। वही प्रशिक्षण में भागीदारी करने वाली कृषि सखियों ने अपने अपने अनुभवों को साझा किया, जिसमें गौ आधारित खेती अंतर्गत बीजामृत, जीवामृत, घन जीवामृत, नीमास्त्र, ब‌ह्मास्त्र आदि के बारे में जानकारी दी, इसी दरमियान

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलगुरू ने अपने सम्बोधन में कहा प्राकृतिक खेती को एक रोजगार के रूप में विकसित कर लाभ अर्जित करने के साथ ही मानव के कल्याण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुये प्राकृतिक खेती को बढावा देने पर जोर दिया गया, जिससे कि गंभीर बीमारियों से बचाव हो सके।

वही कार्यक्रम के अंतिम चरण में डॉ. सविता कुमारी एवं सह नोडल डॉ. जाटव द्वारा आदान वितरण अंतर्गत उपस्थित सभी कृषि सखियों को प्रत्येक के मान से तीन ड्रम, चार तगारी एवं प्रशिक्षण किट / बैग वितरित किये गये। कार्यकम का समापन आभार के माध्यम से डॉ. जाटव वैज्ञानिक द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉ. एस. के. सिंह वैज्ञानिक, डॉ. अशीष बोबडे, वैज्ञानिक, श्री अजय गुप्ता, श्री राजेश वर्मा, श्री बाबूलाल चौहान आदि सभी का सराहनीय योगदान रहा।

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