*पत्रकार के साथ अभद्रता कर्ता बैतूल कोतवाली निरीक्षक को भेजा गया रक्षित केंद्र, जाकीर की कलम*
*पत्रकारों के हक के लड़ाई में जीत हासिल हुई*
*पत्रकारों के मामले में पुलिस कप्तान बैतूल की यम हैं हम की नीति चारों कोने चित नजर आई*
*धरने प्रदर्शन में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, भीम आर्मी और बजरंग दल के नेता एकजुट थे*
*बैतूल:* क्या प्रशासन अब पत्रकारों की बात सुनेगा या यह आंदोलन सचमुच भोपाल मुख्यालय के दरवाजे तक पहुँचेगा—जो कि यही सवाल पूरे बैतूल जिले में चर्चा का विषय बन गया था, जिस पर पूरी तरह से विराम लग गया। चुके बैतूल पुलिस कप्तान कि यम हैं हम की नीति कारगर साबित नहीं हुई। जिसका परिणाम दिनांक 22/10/2025 को 12 से 12:30 के दरम्यान तबादला पत्र जारी कर कोतवाली थाना प्रभारी सत्यप्रकाश सक्सेना को रक्षित केंद्र भेजा गया। बात करे बैतूल पुलिस अधीक्षक जैन की तो कोतवाली थाना प्रभारी और पत्रकार के मामले में कथनी और करनी साफ दिखाई दी, कि किस तरह से अपने अधीन निरीक्षक को बचाने के लिए कई तरह के नाट्य कर्म पुलिस प्रशासन के दिनांक 21/10 को दिनभर देखने को मिले। किस तरह पत्रकार साथियों को धरना स्थल पर पहुंच कर भिन्न भिन्न पुलिस के आला अधिकारीयों द्वारा लाली पाप देने का कार्य किया गया। किंतु कोतवाली थाना प्रभारी को सस्पेंड करने में असफल दिखाई दिए या प्रभारी को बचाने की कोशिश करते नजर आए, दोस्तों यह समझना बेदह जरूरी हो गया है। क्या बैतूल पुलिस को ज्ञात नहीं की निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए मामलों के अनुसार संबंधित विभाग के अधिकारी के कथन जरूरी होता हैं। या फिर यह कहना भी गलत नहीं होगा की प्रशासन की सोची समझी रणनीति के तहत कलम के सिपाहीयों पर अंकुश लगाने का नया तरीका ढूंढ निकला गया। जो कि बैतूल पुलिस का शर्मनाक कृत्य कहना गलत नही होंगा। चुकी पिछले अंक में प्रकाशित किया था, की “बीते कुछ सालों में शिक्षा के जहाज धड़्ल्ले से डुबाए जा रहे, स्कूलों को बंद कर लोगों को रैलियों में बुलाए जा रहे, तों तु कब जागेगा कलम के सिपाही, चुके शासन में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों के सक्षम अधिकारी, ऊपर के मलाई का मजा ले रहे, वही जब जागा कलम का सिपाही, तों उसे थाना प्रभारी द्वारा धमकाते हुए धारा 151 के साथ ही अभद्रता कर घंटों बैठाए रखा।जिसका परिणाम कलम के सिपाही उतरे थे जमी पर, की थी एक साथ आवाज बुलंद ”हर जोर जुल्म कि टक्कर में, संघर्ष हमारा नारा है”’ चुके इस समय पत्रकारों का सबसे बड़ा अपराध है, पत्रकारों का निहत्थे और निरपराधी होना, वही बैतूल पुलिस कप्तान के कार्य प्रणाली को देखते हुए प्रतीत होने लगा था, कि पत्रकार निरपराधी है तो क्या हुआ, पत्रकार को हमारे थाना कोतवाली में पदस्थ के हाथों बनवा देंगे अपराधी” चुकी पत्रकारों की यूनियन ने वरिष्ठ पत्रकार जंकी शाह के साथ कोतवाली थाना प्रभारी सत्यप्रकाश सक्सेना द्वारा कथित दुर्व्यवहार, धमकी और जब्ती की कार्रवाई के विरोध में धरना प्रदर्शन आंदोलन का विक्राल रूप लेने को आतुर था। वही बात लोकतन्त्र कि थी, जिसे पत्रकारों के ‘न्याय की लड़ाई’ को अब राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिला, जो की सभी संघ संगठन बधाई के पात्र हैं। जिसमें धरना स्थल पर आम आदमी पार्टी प्रदेश सह सचिव अजय सोनी अपने कार्यकर्ताओं के साथ धरना स्थल पहुंचे थे। वही भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष वीरेंद्र कापसे, बजरंग दल से भवानी गांवंडे तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऋषि दीक्षित ने भी मंच से पत्रकारों के पक्ष में एक जोरदार आवाज़ बुलंद की थी। जिसमें कहा गया था। “पत्रकारों की आवाज़ को दबाने की कोशिश लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा प्रहार है, और अपने अपने संबोधन में आगे कहा था, पत्रकारों के हित मे संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक बैतूल कप्तान द्वारा पत्रकार साथियों के साथ न्याय नहीं किया जाता।”
“कलम के सिपाहीयों के लिए भाजपा की चुप्पी पर कई तरह के सवाल उठते दिखाई दिए”
जबकि कलम के सिपाहीयों ने एक बड़ा सवाल उठाया है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक हेमंत खंडेलवाल को धरने की सूचना और अपील भेजे जाने के पश्चात उन्होंने अब तक न तो स्थल पर उपस्थिति दर्ज कराई, न ही कोई प्रतिक्रिया दी थी। पत्रकारों ने इसे बेहद “शर्मनाक चुप्पी” बताया है। पत्रकार साथियों में बैतूल पुलिस कप्तान की हिटलर शाही के प्रति भारी आक्रोश दिखाई दे रहा था। चुकी उक्त मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पत्रकार समाज के आत्मसम्मान का बन गया था। जिसे आज दिनांक पुलिस कप्तान बैतूल द्वारा कोतवाली थाना प्रभारी को शीघ्र कार्रवाई कर रक्षित केंद्र भेजा गया। चुकी कलम के सिपाही आत्मसम्मान के लिए किसी भी तरह का समझौता बिल्कुल भी नहीं करेंगे।
*कलम के सिपाहीयों का आक्रोश का कारण, घटना की पृष्ठभूमि थाना कोतवाली के कुछ अंश*
18 अक्टूबर की सुबह वरिष्ठ पत्रकार जंकी शाह ने पटाखा जब्ती मामले में कोतवाली थाना प्रभारी से ₹20,000 की जब्ती पर सवाल पूछा था। आरोप है कि इस पर अधिकारी भड़क गए, गाली-गलौज की, धारा 151 लगाने की धमकी दी और ₹15,000 नगद व जेवर जब्त कर लिए। पूरा घटनाक्रम कथित तौर पर सीसीटीवी कैमरे में दर्ज है। बताया जा रहा है कि पत्रकार ने कुछ दिन पहले “आरटीआई” सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत थाना क्षेत्र में पदस्थ पुलिसकर्मियों की जानकारी मांगी थी, जिससे थाना प्रभारी नाराज़ थे।

केशरसिह पालवी
दैनिक बैतूल न्युज
संपादक. 9424615699


