“पत्रकारों की न्याय की लड़ाई को विपक्ष का साथ, जाकीर की कलम”
“धरने में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, भीम आर्मी और बजरंग दल के नेता एकजुट”
“बैतूल:” “बीते कुछ सालों में शिक्षा के जहाज धड़्ल्ले से डुबाए जा रहे, स्कूलों को बंद कर लोगों को रैलियों में बुलाए जा रहे, तों तु कब जागेगा कलम के सिपाही, चुके शासन में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों के सक्षम अधिकारी, ऊपर के मलाई का मजा ले रहे, वही जब जागा कलम का सिपाही, तों उसे धमकाते हुए धारा 151 के साथ ही अभद्रता कर घंटों बैठाए रखा। जिसका परिणाम कलम के सिपाही उतरे है जमी पर और की है एक साथ आवाज बुलंद ”हर जोर जुल्म कि टक्कर में, संघर्ष हमारा नारा है”’ चुके इस समय पत्रकारों का सबसे बड़ा अपराध यह है, की पत्रकार निहत्थे और निरपराधी, वही बैतूल पुलिस कप्तान के कार्य प्रणाली को देखते हुए लगता है कि पत्रकार निरपराधी है तो क्या हुआ, पत्रकार को हमारे थाने कोतवाली में पदस्थ के हाथों बनवा देंगे अपराधी” वही पत्रकारों की यूनियन ने वरिष्ठ पत्रकार जंकी शाह के साथ कोतवाली थाना प्रभारी सत्यप्रकाश सक्सेना द्वारा कथित दुर्व्यवहार, धमकी और जब्ती की कार्रवाई के विरोध में चल रहा पत्रकारों का धरना अब जन आंदोलन का रूप लेता दिखाई देने लगा है। बात लोकतन्त्र की है तो पत्रकारों की ‘न्याय की लड़ाई’ को अब राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है।
मंगलवार को धरना स्थल पर आम आदमी पार्टी प्रदेश सह सचिव अजय सोनी अपने कार्यकर्ताओं के साथ धरना स्थल पहुंचे। वही भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष वीरेंद्र कापसे, बजरंग दल से भवानी गांवंडे तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऋषि दीक्षित ने भी मंच से पत्रकारों के पक्ष में आवाज़ बुलंद की है। उपस्थित नेताओं ने कहा कि—
“पत्रकारों की आवाज़ को दबाने की कोशिश लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा प्रहार है। यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक न्याय पत्रकार साथियों को नहीं मिलता।”
“भाजपा की चुप्पी पर कई तरह के सवाल”
पत्रकारों ने सवाल उठाया है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक हेमंत खंडेलवाल को धरने की सूचना और अपील भेजे जाने के बावजूद उन्होंने अब तक न तो स्थल पर उपस्थिति दर्ज कराई, न ही कोई प्रतिक्रिया दी। पत्रकारों ने इसे “शर्मनाक चुप्पी” बताया है।
“एसपी से मुलाकात नहीं हो सकी”
धरने के बाद पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र जैन से मिलने उनके कार्यालय पहुंचा। बताया गया कि एसपी ने केवल एक प्रतिनिधि को अकेले मिलने की अनुमति दी, जिसका पत्रकारों ने विरोध किया और एकजुटता बनाए रखते हुए बिना मिले ही लौट आए।
“आंदोलन का अगला चरण भोपाल की तैयारी”
पत्रकारों का कहना है कि यह अब केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पत्रकार समाज के आत्मसम्मान की लड़ाई है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो भोपाल पुलिस मुख्यालय पर “पत्रकार आत्मसम्मान आंदोलन” किया जाएगा।
*घटना का पृष्ठभूमि*
18 अक्टूबर की सुबह वरिष्ठ पत्रकार जंकी शाह ने पटाखा जब्ती मामले में कोतवाली थाना प्रभारी से ₹20,000 की जब्ती पर सवाल पूछा था। आरोप है कि इस पर अधिकारी भड़क गए, गाली-गलौज की, धारा 151 लगाने की धमकी दी और ₹15,000 नगद व जेवर जब्त कर लिए। पूरा घटनाक्रम कथित तौर पर सीसीटीवी कैमरे में दर्ज है। बताया जा रहा है कि पत्रकार ने कुछ दिन पहले “आरटीआई” सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत लगवाया था। जिसमें थाना क्षेत्र में पदस्थ पुलिसकर्मियों की जानकारी मांगी थी, जिससे थाना प्रभारी नाराज़ थे।
“नारे गूंजे – “सत्य की कलम नहीं झुकेगी!”
“धरना स्थल पर पत्रकारों ने लगाए नारे –”
“पत्रकारों का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान!”
“सत्य की कलम नहीं झुकेगी!”
“पत्रकार आत्मसम्मान पुलिस की बपौती नहीं!”
क्या प्रशासन अब पत्रकारों की बात सुनेगा या यह आंदोलन सचमुच भोपाल मुख्यालय के दरवाजे तक पहुँचेगा — यही सवाल अब पूरे बैतूल जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।


केशरसिह पालवी
दैनिक बैतूल न्युज
संपादक. 9424615699


