*भारत बंद के ऐलान की वापसी: कमजोरी नहीं, हिकमत की अलामत*
बुरहानपुर (इक़बाल अंसारी) आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा दिनांक 3 अक्टूबर 2025 को भारत बंद की घोषणा की थी। और मुस्लिम समाज जनों से इस दिन दोपहर तक अपने कारोबार बंद रखना रखने की अपील की थी। भारत में अन्य समाज के त्यौहार को दृष्टिगत रखते हुए बंद के कार्यक्रम आंशिक रूप से आगामी तिथि तक स्थगित किया गया है। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस फैसले का समर्थन करते हुए आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा बुरहानपुर में स्थापित दारुल क़ज़ा(शरई अदालत) के नायब क़ाज़ी ए शरीअत आली जनाब हज़रत अल्लामा मौलाना मोहम्मद अज़हर मुत्तक़ी क़ासमी साहब ने बताया कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के द्वारा मुल्क के मुअْतबर उलमा (विश्वसनीय धार्मिक विद्वान) व दानिश्वरों (बुद्धिजीवियों) पर मुश्तमिल(आधारित )) इदारा (संस्थान) है। इन हज़रात की मुल्क के बदलते हुए हालात पर भी गहरी नज़र रहती है। औकाफ़ की हिफाज़त के लिए पहले *3/अक्टूबर को भारत बंद* का फ़ैसला किया गया था, लेकिन हालात को सामने रखते हुए बाद में उसे रद्द कर दिया गया। यह कोई कमजोरी नहीं बल्कि हिकमत और बसीरत की अलामत है। क्योंकि हर वक़्त हालात यकसां नहीं रहते, कभी ऐसा भी होता है कि कोई क़दम उठाने से फ़ायदे के बजाय नुक़सान का अंदेशा बढ़ जाता है। ऐसे वक़्त में अपने फ़ैसले पर नज़र-ए-सानी करना ही अक़्लमंदी और क़यादत की ज़िम्मेदारी होती है। इंशाअल्लाह अगर हम सब्र, इत्तेहाद और अपने क़ाइदीन पर एतिमाद(विश्वास) के साथ जिद्दोजहद करेंगे तो अल्लाह तआला अपनी नुसरत ज़रूर अता फ़रमाएगा।

केशरसिह पालवी
दैनिक बैतूल न्युज
संपादक. 9424615699


