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आल इंडिया हज वेलफेयर ऑफिसर के राष्ट्रीय महासचिव जनाब सैय्यद रियाज़ (धार) के नवजवान सपूत सैय्यद मेहफूज़

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*आल इंडिया हज वेलफेयर ऑफिसर के राष्ट्रीय महासचिव जनाब सैय्यद रियाज़ (धार) के नवजवान सपूत सैय्यद मेहफूज़ का इंतिक़ाल: एक अपूरणीय क्षति (अज़ीम खासारह) लेखक : मुकीत ख़ान खंडवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ऑल इंडिया हज वेलफेयर सोसाइटी*

 

*मौत उसकी है करें जिसका ज़माना अफ़सोस*

 

*यूं तो सभी आए हैं दुनिया में करने के लिए* खंडवा (प्रस्तुति इक़बाल अंसारी) ऑल इण्डिया हज वेलफेयर सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकीत ख़ान खंडवा ने ऑल इंडिया हज वेलफेयर सोसाइटी के राष्ट्रीय महासचिव जनाब सैयद रियाज़ साहब (धार मध्यप्रदेश) के नौजवान बेटे अज़ीज़म सैयद महफूज़ के इंतेक़ाल पर अपने तास्सुरात क़लम बंद करते हुए अपनी ओर से खिराजे अकीदत पेश किया है। यक़ीनन, ऑल इंडिया हस वेलफेयर सोसाइटी के राष्ट्रीय महासचिव जनाब सैयद रियाज़ साहब और उनके एहले खाना के लिए यह बहुत बड़ा हादसा है। जिसकी भरपाई नामुमकिन है। कम उम्र में एक नौजवान इंजीनियर बेटे का जाना, इसका दर्द, इसका कर्ब, सिर्फ़ मां और बाप ही बेहतर जानते और समझते हैं। लेकिन मौत और मौत का वक़्त अल्लाह की तरफ़ से तय और मुक़र्रर है। हम सबको भी एक न एक दिन उसे रास्ते पर जाना है। हम अपनी जान से तसल्ली के दो अल्फ़ाज़ के साथ सिर्फ़ यह कह सकते हैं कि अल्लाह के इस फ़ैसले को हर हाल में क़बूल करना है। क्योंकि मौत और ज़िन्दगी सिर्फ़ अल्लाह रब्बुल आलमीन के इख्तियार (अधिकार) में है। ऑल इंडिया हज वेलफेयर सोसाइटी के समस्त पदाधिकारी गण और सदस्यों की ओर से हम जनाब सैयद रियाज़ साहब धार और उनके एहले खाना की खिदमत में ताज़ियत पेश करते हुए अल्लाह से दुआ करते हैं कि अल्लाह मरहूम सैयद महफूज़ को अपनी जवारे रहमत में आला से आला मक़ाम अता फरमाए। मरहूम को करवट करवट जन्नत नसीब फरमाए। मरहूम की क़ब्र को क़यामत तक अपने नूर से रौशन और कुशादा फरमाए। मरहूम को रोज़ ए मेहशर में हमारे आक़ा सरवर ए कायनात, ताजदार ए मदीना रसूल पाक हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शिफ़ाअत नसीब फरमाए। सैयद रियाज़ साहब और उनके एहले खाना को सब्र ए जमील अता फरमाए और इस अज़ीम सानहा को बर्दाश्त करने की तौफीक और सबरे जमील अता फरमाए। पाठकों के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकीत ख़ान खंडवा का लेख प्रस्तुत हैं: राष्ट्रीय महासचिव सैय्यद रियाज़ (धार) के छोटे बेटे सैय्यद महफूज़ (23 साल) का 02/11 दिन इतवार को इंतेक़ाल हो गया, उनकी नमाज़ ए जनाज़ा श्री नगर कॉलोनी में उनके घर के ठीक सामने पार्क में शाम 4 बजे अदा की गई, इज़्ज़तमआब मुफ़्ती सैय्यद सज्जाद साहब गोधरा वालों ने नमाज़ पढ़ाई, धार के कब्रिस्तान में सैय्यद महफूज़ को सुपुर्द ए खाक किया गया, जनाज़े में काफ़ी तादाद में लोग थे, दिल्ली से शामिल हुए महफूज़ के दोस्त, रिश्तेदार, हज वेलफेयर सोसायटी के अलग-अलग शहर से आए ज़िम्मेदारों सहित मक़ामी शहर वासियों ने नम आँखों से अपने लाडले को अंतिम विदाई दी,

 

बता दें कि अज़ीज़म सैयद महफूज़ ने, देश के बड़े संस्थानों में शुमार जामिया मीलिया इस्लामिया,(JMI ) दिल्ली से एयरोनॉटिकल इंजीनियर (मैकेनिकल) में ग्रेजुएशन किया है, मास्टर डिग्री के लिए उनकी जर्मनी जाने की तैयारी थी, लेकिन पिछले करीब ढाई साल से एक बड़ी बीमारी ने इस नौजवान बेटे को अपने शिकंजे में ऐसा कसा कि आँखों में ढेर सारे ख़्वाब और सपने लिए, आख़िरकार मौत के सामने अपने आप को सरेंडर करते हुए अज़ीज़म महफूज़ को छोटी सी उम्र में अपने रब की तरफ़ लौटना पड़ा, जिस की तरफ़ हम सब को एक ना एक दिन जाना है। दिल्ली के रोहिणी स्थित राजीव गाँधी कैंसर हॉस्पिटल में अज़ीज़म महफूज़ का लम्बे समय इलाज चला, ज़ेरे इलाज भी पढ़ाई का जूनून सर पर था, कई बार ऐसा भी हुआ बीमारी की हालात में जामिया जाकर एग्ज़ाम के मुताल्लिक कागज़ी कार्यवाही करनी पड़ी तो कभी कोर्स की तफ़सील के सिलसिले में अपने सहपाठियों के साथ जाना पड़ा, बीमारी को झेलने की हिम्मत और साहस अज़ीज़म महफूज़ में गज़ब का था, उनका इलाज करने वाले डॉक्टर खुद तारीफ़ करते थे, अज़ीज़म महफूज़ ने अपनी तरफ से बीमारी को अपने ऊपर हावी नहीं होने देने की भरपूर कोशिश की, बड़े भाई नवाज़ की शादी में महफूज़ की बेहतर तबियत को देखकर सबको सुकून और इत्मीनान था, लेकिन बहुत से कीमो थेरेपी के सर्कल, जिस्म के अंदरूनी हिस्सों के बार-बार हुए ऑपरेशन ने अज़ीज़म महफूज़ की आखिर कार हिम्मत तोड़ दी, तीन साल आठ महीने तक बीमारी से लड़ते हुए आखिर इस साल नवंबर महीने की शुरुआत होते ही अल्लाह की अमानत अल्लाह तक पहुँच गई,।

 

मेरा जब पहली बार महफूज़ से मिलने दिल्ली जाना हुआ तब वो हॉस्पिटल में एडमिट थे, पलंग पर लेटे-लेटे वो मुझे हॉस्पिटल तक पहुँचने का रास्ता बताते रहे, अंकल इस मेट्रो में बैठना.. फिर फलां स्टेशन उतरकर दूसरी मेट्रो पकड़ना, छोटी सी उम्र में और कम अरसे में अज़ीज़म महफूज़ को दिल्ली की हर दिशा का नॉलेज था, ट्रैन की बात कर लो या फ्लाइट का शेड्यूल उनको सबका नॉलेज था, फ़ख्र की बात यह कि जब वो धार में थे उनके पीछे कई बार नमाज़ पढ़ने का मौका भी मिला, अज़ीज़म महफूज़ की किरत दिल को छू लेने वाली थी, हज से मुताल्लिक बहुत से मैटर को हिंदी से अंग्रेज़ी में ट्रांसलेट कर मुताल्लिक महकमों को मेल करने की ज़िम्मेदारी अज़ीज़म महफूज़ ने बखूबी निभाई, किसी भी सब्जेक्ट पर महफूज़ से बात कर लो हर बार मुतमईन बख्श जवाब मिलता था, यह क्वालिटी भी कम लोगों में मिलती है, इसे भी अल्लाह की एक बड़ी नेअमत ही कहा जा सकता है।

 

ज़िन्दगी, मौत बेशक अल्लाह के हाथ में है लेकिन अज़ीज़म महफूज़ की कमी हमेशा बनी रहेगी, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त उनकी बाल बाल मगफिरत फरमाए, मरहूम दरजात को बुलंद करे, घर वालों को दोस्त एहबाब को अल्लाह सब्र ए जमील अता करे.. आमीन

 

*एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा*

 

*आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा*

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