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एडवोकेट मनोज कुमार अग्रवाल ने रचा इतिहास: अंसारी बहनों से 39 लाख रुपए हड़पने मामले में,वरिष्ठ नागरिक अधिकरण ने सौदाकृत दुकान की बिक्री पर लगाई रोक* 

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बुरहानपुर
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*एडवोकेट मनोज कुमार अग्रवाल ने रचा इतिहास: अंसारी बहनों से 39 लाख रुपए हड़पने मामले में,वरिष्ठ नागरिक अधिकरण ने सौदाकृत दुकान की बिक्री पर लगाई रोक*

 

जब तक हड़पी गई राशि अंसारी बहनों को लौटाई नहीं जाती, खानका स्थित सौदाकृत दुकान “ब्लॉक नं. 31, प्लॉट नं. 105/1, 1030 वर्गफुट पर बना निर्माण” की बिक्री / अंतरण नहीं कर सकते हाजी अब्दुल करीम और अशफाक बंधु)

 

*बुरहानपुर(इक़बाल अंसारी) एक अधिवक्ता अगर दिल से अगर दृढ़ विनिश्चय कर ले कि वह उसके क्लाइंट को इंसाफ़ दिलाएगा तो विश्वास करें कि वह उसका वकील ही है, जो आपको न्याय दिलाने के लिए आपके साथ आखिर तक खड़ा रहेगा। न्याय दिलाने के लिए और कोई दूसरा व्यक्ति आखिरी लड़ाई तक आपके साथ कभी खड़ा नहीं हो सकता। बुरहानपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता और हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के प्रैक्टिसिंग एडवोकेट मनोज कुमार अग्रवाल ने अपने विनम्र आचरण और आत्मविश्वास (कॉन्फिडेंस) से इस बात को साबित कर दिया है। बुरहानपुर जलेबी नामक शहर की एक पुरानी क़दीमी फर्म के संचालक में हाजी अब्दुल करीम खत्री और अशफाक आदि ने दो अंसारी बहनों से 39 लख रुपए हड़पने का मामला कुछ समय पहले सुर्खियों में आया था और कद्दावर और विद्वान अधिवक्ता मनोज कुमार अग्रवाल की क़लम की ताकत ने वो करिश्मा बताया कि इस मामले में हाजी अब्दुल करीम खत्री और उसके भाई को जेल की हवा खाना पड़ी थी। इस मामले में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के प्रैक्टिसिंग एडवोकेट मनोज कुमार अग्रवाल से हमारे प्रतिनिधि से तब भी चर्चा हुई थी तो उन्होंने कहा था कि इस केस को हुए न केवल जीत कर बताएंगे बल्कि यह भी मामला भी एक नज़ीर (न्यायिक दृष्टांत) बनेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज कुमार अग्रवाल ने अपनी बुद्धिमत्ता से जहां पूर्व में 16 नज़ीर अपने नाम की है, वहीं हाजी अब्दुल करीम खत्री को उसके मंसूबों में परास्त करके और इस केस को जिताकर फतेहयाबी हासिल कर के जिस में वरिष्ठ नागरिक अधिकरण बुरहानपुर के विद्वान पीठासिनी अधिकारी ने इस केस को डिसाइड करते हुए यह निर्णय पारित किया कि इस केस में हड़पी गई राशि अंसारी बहनों को नहीं लौटी जाती तब तक खानकाह वार्ड स्थित सौदाकृत संपत्ति दुकान, जिस का ब्लॉक नंबर 31 प्लॉट नंबर 105/1, रकबा 1030 वर्ग फीट पर बना निर्माण की बिक्री/ अंतरण नहीं कर सकते, ऐसा आदेश आज वरिष्ठ नागरिक अधिकरण बुरहानपुर के विद्वान पीठासीन अधिकारी श्री अजमेर सिंह गौड़ ने पारित करके मामले को ऐतिहासिक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस से पहले भी क़ादरिया साइंस कॉलेज बुरहानपुर की एक पूर्व प्रोफेसर आदरणीय परिहार मैडम के मामले में भी वरिष्ठ नागरिक अधिकरण बुरहानपुर के विद्वान न्यायाधीश ने वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज कुमार अग्रवाल के तर्कों से सहमति जताते हुए अधिवक्ता मनोज कुमार अग्रवाल और परिहार मैडम के पक्ष में एक ऐसा ही शानदार फैसला पारित किया था। उस फैसले की स्याही भी सुख नहीं पाई कि बुरहानपुर जलेबी नामक एक क़दीमी फर्म के संचालक हाजी अब्दुल करीम खत्री को झटका देते हुए वरिष्ठ नागरिक अधिकरण बुरहानपुर (पीठासीन अधिकारी – श्री अजमेर सिंह गौड़) ने एक और अभूतपूर्व आदेश पारित करते हुए हाजी अब्दुल करीम खत्री और मो. अशफाक बंधु – बुरहानपुर जलेबी सेंटर वाले” की मालिकी की खानकाह वार्ड स्थित 1030 वर्गफुट दुकान के बिक्री/ अंतरण पर रोक लगाने का आदेश पारित करते हुए अंसारी बहनों की संपत्ति 39 लाख रुपए सुरक्षित करने का आदेश पारित किया । इस संपूर्ण मामले में अंसारी बहनों के अधिवक्ता-द्वय श्री मनोज कुमार अग्रवाल एवं अजहर हुसैन ने बताया कि, वरिष्ठ नागरिकों की संपत्ति सुरक्षित करने की दिशा में वरिष्ठ नागरिक अधिकरण बुरहानपुर (पीठासीन अधिकारी – श्री अजमेर सिंह गौड़)”* का यह आदेश न्यायिक इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा, और अब इस आदेश के बाद वरिष्ठ नागरिकों की संपत्ति और जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। अधिवक्ता श्री मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि इस आदेश के परिणाम स्वरुप अब उक्त *हाजी अब्दुल करीम खत्री और मोहम्मद अशफाक बंधु जो कदीमी बुरहानपुर जलेबी सेंटर वाले के नाम से जाने जाते हैं* उक्त दुकान का अंतरण/ बिक्री तब तक किसी अन्य को नहीं कर सकते जब तक कि वह उनकी *मुवक्किल अंसारी बहनों को उनकी राशि 39 लाख रुपया* मय हर्जाना उन्हें नहीं भुगतान कर देते। उल्लेखनीय है कि हाजी अब्दुल करीम खत्री और मोहम्मद अशफाक बंधु ने उक्त दुकान के सौदा पेटे 39 लाख रुपया अंसारी बहनों से ले लेने के बाद उक्त राशि की प्राप्ति से भी इंकार कर दिया था जो कि मा. वरिष्ठ नागरिक अधिकरण के समक्ष झूठ साबित हुआ।

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