“हिरावाड़ी पुलिया के निर्माण मैटेरियल को देखते हुए पुलिया कि क्या लंबी उम्र होंगी, जाकीर कि कलम”
” पुलिया निर्माण में सीसीके कंक्रीट क्यूब परीक्षण निर्माण उद्योग में एक आवश्यक प्रक्रिया जो कि नहीं की गई, वही मैटेरियल इस्तेमाल करने से पहले टेस्ट करने के बजाय, निर्माण सामग्री में खेल, मेहकार क्षेत्र के ग्रामीणों में भारी आक्रोश”
“परीक्षण प्रक्रिया कंक्रीट की शक्ति को मापने और समझने के लिए महत्वपूर्ण है, कि टूटने से पहले निर्माणधीन पुलिया कितना भार सहन कर सकता है”
“घोड़ाडोंगरी:” पंचायती राज की गाथा सुनाते प्राय प्राय कई ग्राम पंचायते जिसमे इन दिनों मेहकार पंचायत के ग्राम हीरावाडी में निर्माणधीन पुलिया कहु या छुरी ग्राम पंचायत भवन निर्माण। चुकी किसीने क्या खूब कहा है, की “पुराने पेड़ों का मजाक उड़ा रहे है, “नए पौधे” उक्त नए पौधों से कह दो अभी तुमने आंधियों के झटके नहीं देखे, गरचे आंधियों के झटके महसूस करने हों तो हिरावाड़ी निर्माणधीन पुलिया के ठेकेदार के ठेकेदारी कर्ता से रूबरू हो जाए” चुके वर्तमान में पुलिया निर्माण कार्य मनोज मलैया व श्री राम बढ़िया के घर के पास हिरावाड़ी में बिना किसी डर एवं खौफ के ठेका पद्धती से किया जा रहा है। या यू कहे हीरावाडी में कुही जोड़ से जांगड़ा मार्ग पर पुलिया निर्माण ग्राम पंचायत मेंहकार ग्राम हिरावाड़ी में ठेका पद्धती से निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिस की सुध लेने वाले शायद जनपद पंचायत घोड़ाडोंगरी में कोई सानी नहीं, कहा जा सकता है। चुके कुछ इसी तरह के उठ पटांग मापदंडों से ग्राम पंचायत छुरी में पंचायत भवन का निर्माण कार्य किया जा रहा, जिसमे लाखों कि राशि का खेल लाजमी है। गौरतलब हैं कि ग्राम पंचायत मेंहकार के ग्राम हीरावाडी में पुलिया निर्माण का कार्य 5वे वित्त के साथ ही तकनीकी स्वीकृति सहायक यंत्री मेंहकार के मार्गदर्शन में लगात मूल्य करीब करीब ₹10लाख 7 हजार को पंचायती राज के सक्षम अधिकारियों की दिलेरी के चलते निर्माणधीन पुलिया के ठेकेदार द्वारा बाहरी मजदूरो से मजदूरी दर रोजगार दिया जा रहा वही स्थानीय मजदूरों को निर्माण धीन कार्य से दूर रखा गया है। चुके मैटेरियल में बिना किसी मापदंडों के खुले तौर रेता के नाम पर भसवा है मिट्टी या गिट्टी समझ से परे दिखाई देता है। वही बात करे पुलिया निर्माण में सहायक यंत्री के करकमलों की तों नई तकनीकी के साथ फाउंडेशन का निर्माण तों पुलिया कि क्या लंबी उम्र कितनी होंगी, कहना बड़ा मुश्किल हो गया है।

केशरसिह पालवी
दैनिक बैतूल न्युज
संपादक. 9424615699


